Brihaspati Bhagwan Ki Katha, Vrat Ki Vidhi Aur Aarti

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बृहस्पतिवार की पूजा सनातन धर्म के नीतियों को मजबूती प्रदान करने के लिए जानी जाती है। इसकी व्रत कथा, पूजा विधि, और आरती को जानने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और पारिवारिक लाभ प्राप्त होते हैं। आइए, Brihaspati Bhagwan ki Katha और उनके व्रत की महिमा को विस्तार से समझें।

बृहस्पति भगवान की कथा

बहुत समय पहले एक नगर में एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण रहता था। वह अत्यंत गरीब था और उसके परिवार को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। अपनी गरीबी से छुटकारा पाने के लिए उसने बृहस्पति भगवान का व्रत करने का निश्चय किया। हर गुरुवार को वह पूरे नियम और श्रद्धा के साथ भगवान बृहस्पति की पूजा करता। उसने पीले वस्त्र धारण किए, पीले खाद्य पदार्थों का भोग लगाया, और बृहस्पति भगवान की कथा सुनी।

एक दिन, बृहस्पति भगवान उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उसे दर्शन दिए। उन्होंने ब्राह्मण से कहा, “तुम्हारी भक्ति और श्रद्धा से मैं बहुत प्रसन्न हूँ। आज से तुम्हारे जीवन की सभी कठिनाइयाँ समाप्त हो जाएंगी।” भगवान के आशीर्वाद से ब्राह्मण के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आ गई। यह कथा हमें सिखाती है कि सत्यनिष्ठा, भक्ति और नियमपूर्वक पूजा से हर कठिनाई का समाधान संभव है।

बृहस्पतिवार व्रत की विधि

बृहस्पतिवार व्रत को सही ढंग से करने के लिए निम्नलिखित विधियों का पालन करें:

  1. स्नान और स्वच्छता: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को साफ करें।
  2. पूजा सामग्री:
    • हल्दी, चंदन, पीले फूल, चने की दाल, और केले।
    • घी का दीपक और कपूर।
  3. मंत्रोच्चार: बृहस्पति भगवान की मूर्ति या चित्र के सामने घी का दीपक जलाएँ और “ॐ बृहस्पतये नम:” मंत्र का जाप करें।
  4. भोग लगाना: भगवान को पीले भोजन, जैसे बेसन के लड्डू या केले का भोग अर्पित करें।
  5. कथा वाचन: बृहस्पति भगवान की व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
  6. आरती: पूजा के अंत में बृहस्पति आरती करें।

बृहस्पति व्रत क्यों करें?

यह व्रत परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाने के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है और धन संबंधी समस्याओं का निवारण होता है। इसके अलावा, बृहस्पति व्रत व्यक्ति की मानसिक अशांति को भी दूर करता है।

किसे व्रत करना चाहिए और किसे नहीं?

  • व्रत करने योग्य: जिन लोगों को आर्थिक समस्याएँ, वैवाहिक जीवन में कठिनाइयाँ, या मानसिक अशांति हो।
  • व्रत न करने वाले: बीमार व्यक्ति, गर्भवती महिलाएँ, और वे लोग जो व्रत के दौरान निर्धारित नियमों का पालन न कर सकें।

बृहस्पतिवार व्रत का महत्व

इस व्रत को करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ समाज में प्रतिष्ठा मिलती है। यह व्रत व्यक्ति को संयम, नियम और भक्ति का महत्व सिखाता है।

बृहस्पतिवार आरती

जय जय श्री बृहस्पति देवा। स्वामी जय जय बृहस्पति देवा।। सुख संपत्ति कारक देवा। कष्ट निवारक देवा।। जय जय श्री बृहस्पति देवा।

ज्ञान वृद्धि के दाता। पाप ताप हरता। सद्गुण पूर्ति विधाता। भव भय हरता।। जय जय श्री बृहस्पति देवा।

संतजनों के रक्षक। असुर दल के भक्षक। भक्तों के पालन कर्ता। सत्य धर्म के रक्षक।। जय जय श्री बृहस्पति देवा।

निष्कर्ष

बृहस्पतिवार का व्रत व्यक्ति को हर तरह की समस्याओं से छुटकारा दिलाने वाला माना जाता है। यदि आप सच्चे मन से यह व्रत करते हैं और भगवान बृहस्पति की पूजा करते हैं, तो निश्चित रूप से आपके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आएगी।

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